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बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर: लक्षण और देखभाल

बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर: लक्षण और देखभाल

  • by Dr. Rekha Mehta

बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर: लक्षण और देखभाल

  • by ["Dr. Rekha Mehta"]
बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर: लक्षण और देखभाल

ऑटिज्म को हिंदी में स्वलीनता या आत्मविमोह कहा जाता है। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर(ASD) एक न्यूरो डेवलपमेंटल व विकास संबंधी गड़बड़ है जो बच्चे के संचार, व्यवहार व सामाजिक संपर्क को प्रभावित करता है। आटिज्म स्पेक्ट्रम पर प्रत्येक शिशु अलग होता है क्योंकि हर एक बच्चे की अलग विशेषताएं, आवश्यकताएं, ताकत और चुनौतिया होती है। कुछ सामान्य लक्षण से पता लग जाता है कि बच्चा आटिज्म पीड़ित है।  शिशु में 6 महीने से 2 वर्ष की उम्र के बीच ऑटिज़्म के प्रारंभिक लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है ये लक्षण और अधिक स्पष्ट दिखाई देने लगते है।


आटिज्म के लक्षण

  • सामाजिक जुड़ाव में कठिनाइयां - ऐसे बच्चे अकेले रहना, अकेले खेलना पसंद करते है। देखभाल करने वालों के साथ सीमित सहभागिता - हाथ हिलाना, ताली बजाना, नाम पुकारने, मुस्कुराने पर प्रतिक्रिया ना दे पाना। आंखों के संपर्क से बचना। सामाजिक संपर्क में रुचि ना दिखाना। दूसरे की भावनाओं को समझने में  समस्या।
  • व्यवहार, गतिविधियों व रुचियों संबंधित पैटर्न - किसी भी चीज में अति कर देना, लंबे समय तक वस्तुओं को, किसी खिलौने को अपने साथ रखना, खिलौने के साथ असामान्य तरीके से खेलना, असामान्य शारीरिक या हाथ की गतिविधियां प्रदर्शित करना। अगर कोई काम बच्चे की इच्छा अनुसार ना हुआ हो तो चिढ़ और गुस्सा, बच्चा खुद को चोट या नुकसान पहुंचा सकता है।
  • दोहराएं जाने वाला व्यवहार - दोहराव वाले खेल, हर दिन एक ही तरह बिताना, नई चीजों को जानने के प्रति निष्क्रिय रहना या कम उत्साह दिखाना। बदलाव को स्वीकार न कर पाना।
  • संवेदी चुनौतिया - दर्द या चोट के प्रति कम प्रतिक्रिया देना, नई जगह, सुगंध, बनावट, आवाज पर असामान्य रूप से प्रतिक्रिया देना। कुछ बच्चों में तेज रोशनी, किसी भोजन या किसी कपड़े को लेकर अत्यधिक संवेदनशीलता हो सकती है।
  • भाषा - गंभीर रूप से आटिज्म से प्रभावित बच्चे अधिकांशतः बोलना नहीं सीख पाते। जो बोलना सीखते है वे सामान्य उम्र के बाद सीख पाते है और असामान्य तरीके से शब्दों का उपयोग करते है और अक्सर अपने बोले गए शब्दों को दोहराते है।
  • बुद्धिमता - ऑटिज्म पीड़ित बच्चों में बुद्धि का स्तर कुछ भी हो सकता है। बुद्धि औसत या औसत से अधिक होती है। बच्चों का प्रदर्शन असमान होता है। ऐसे बच्चों की किसी एक विषय, एक कला में अत्यधिक निपुणता भी देखने को मिलती है। जिसमें वह निपुण है उसका प्रदर्शन बहुत अच्छा रहेगा लेकिन बाकी चीजों में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं होगा। 

ऑटिज्म पीड़ित बच्चे की देखभाल

ऑटिज्म पीड़ित बच्चे की देखभाल के लिए धैर्य, समझदारी और निरंतर सपोर्ट की जरूरत है।

  • नियमित दिनचर्या - भोजन, खेलने व सोने का एक निश्चित समय रखें। नियमित दिनचर्या से बच्चे में सुरक्षा व स्थिरता की भावना आती है। वह सहज महसूस करता है। अगर बदलाव करना हो तो बच्चे को पहले से समझाएं।
  • सरल व स्पष्ट बातचीत - सरल व स्पष्ट रूप से संवाद करें। आंखों में देखकर धीरे-धीरे, छोटे व स्पष्ट वाक्यों का प्रयोग करें। बात करते समय संकेत व चित्रों का सहारा भी लिया जा सकता है।
  • सामाजिक मेलजोल - सामाजिक संपर्क के लिए प्रोत्साहित करें। बच्चे को पार्क आदि सार्वजनिक जगहों पर ले जाएं। खेल-खेल में समूह में खेलने की आदत विकसित करें।
  • खाने की आदतों पर ध्यान दें - अगर किसी विशेष खाने को देखकर उसे परेशानी होती है तो कुछ समय के लिए उसे वो खाना ना दे।
  • शांत माहौल - घर का माहौल शांत रखें। बच्चे को तेज रोशनी, तेज आवाज से परेशानी होने पर ऐसा करने से बचे। इंद्रिय संवेदनशीलता का ध्यान रखे। बच्चे के आराम के अनुसार माहौल बनाएं।
  • सकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा दें - बच्चे के अच्छे व्यवहार पर तारीफ करें और उन्हें छोटे-छोटे पुरस्कार दे। नकारात्मक व्यवहार को रोकने के लिए सकारात्मक निर्देश दे व शांतिपूर्ण तरीके से समझाएं।
  • विशेषज्ञ से मिले - अपने बच्चे की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार विशेषज्ञ, चिकित्सा व सहायता सेवाओं का चयन करे। विशेषज्ञ चिकित्सक से नियमित सलाह ले।
  • दवाइयां व थेरेपी - ऑटिज्म के इलाज के लिए कोई निश्चित दवा नहीं है। ऑटिज्म के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं के इलाज के लिए कुछ दवाईयां उपलब्ध है जिनसे उन लक्षणों में आराम मिल सकता है। बिहेवियर, लैंग्वेज और स्पीच थेरेपी की मदद से ऑटिज्म की समस्या में कुछ सुधार लाया जा सकता है।
  • पारिवारिक चिकित्सा - पूरे परिवार को अतिरिक्त धैर्य व समझदारी से काम लेने की आवश्यकता है। बच्चे की जरूरतों को समझे और उनकी छोटी-छोटी उपलब्धियां पर उन्हें प्रोत्साहित करें।
  • अपनी देखभाल करें - देखभाल करने वाले माता-पिता को स्वयं की भी देखभाल करना आवश्यक है। अपने मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें। आवश्यकता होने पर परिवार, दोस्तों की मदद ले। कभी-कभी छुट्टी मनाने जाएं और अपने आप को स्वस्थ रखें।

ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते है, बस जरूरत है उन्हें थोड़ी अतिरिक्त देखभाल व प्यार की। Zikku अभिभावकों की अपने बच्चे के लिए इस प्यार और चिंता को समझता है इसलिए Zikku के सभी उत्पाद इस तरह से तैयार किए जाते हैं कि वो बच्चे के विकास में सहायक हो।


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